Thursday, March 28, 2019

Mobile Software Fault





मोबाइल फोन में सॉफ्टवेर कब किया जाता है क्‍या - क्‍या प्रॉब्‍लम होने पर सॉफ्टवेर किया जाता है




प्रॉब्‍लम –


  • जब मोबाइल फोन को ऑन करे और ऑन न हो कर वह लोगो पर रुक जाये
  • जब मोबाइल फोन स‍ही से वर्क न करे
  • जब मोबाइल फोन हैंग करे
  • जब मोबाइल फोन में सॉफ्टवेर करेप्‍ट हो जाये
  • जब मोबाइल फोन ऑन हो और उसमें कुछ भी न दिखाई दे
  • जब मोबाइल फोन में FRP लॉक लग जाये .......etc



Wednesday, March 27, 2019

कॉइल Coil

कॉइल Coil

कॉइल को धातु का तार भी कहा जाता  है यह मोबाइल फोन की PCB पर दो कलर में मिलती है


1 हल्‍के काले रंग व वाइटकरल में  

2 हल्‍के नीले रंग व वाइट कलर में                                                               



कॉइल वोल्‍टेज को बैलेंस करने का काम करती है ज्‍यादातर कॉएलसीरीज कनेक्‍शन में लगी होती है

कॉइल को मल्‍टीमीटर से कैसे चैक करे

·          मल्‍टीमीटरको 200 ओह्म्‍स में सेट करे प्रोब को Coil के दोनों सिरे पर रखे तो 0.5 से 2.5 ओह्म्‍स के बीच रीडिंग मिलना चाहिए तो coil सही है

·         बीप मोड में सेट कर के coil में बीप की आवाज आती हे तो सही है

·         बीप नहीं मिलती तो coil ओपन है एसे में कॉइल हटा कर जम्‍पर लगा सकते हे

विशेष  –    

  कॉइल में + व   नहीं होताहै इसलिये इसे लगाते व हटाते समय + व - को ध्‍यान में रखने की आवश्‍यकता नहीं है coil  को L से शो किया जाता है



बूस्‍ट कॉइल  Boost Coil 

यह कॉइल से बहुत बडी होती है यह मोबाइलफोन की PCB पर काले कलर के बटन की तरह दिखती है

 बूस्‍ट कॉइल मोबाइल फोन की Display स्‍क्रीन में लगी लाइट को करेन्‍ट देती है यह करेन्‍ट के वोल्‍टेज को बढाने का कार्य करती है

बूस्‍ट कॉइल खराब होने पर स्‍क्रीन में लाइट जलना बंद हो जाती है इसके खराब होने पर जम्‍पर करे या नया लगाये ।


  



















बूस्‍ट कॉइल को मल्‍टीमीटर से check करना

·         मल्‍टीमीटर को बजर मोड पर रखे और काली - व लाल + लीड को कॉइल के वाइट कलर वाले भाग पर लगा दे   बीप की आवाज आने पर कॉइल सही है और बीप की आवाज नहीं आने पर बूस्‍ट कॉइल खराब है


कॉइल का मोबाइल फोन में उपयोग

·         क्‍वाइल का इस्‍तेमाल फ्रीक्‍वेंसी को छांटने के लिए किया जाता है इसके द्वारा रेडियो वेव या सिग्‍नल को पकडने और छोडने के लिए बहुत ज्‍यादा होता है

 मोबाइल टावर रेडियो टावरइसके उदाहरण हे विजली को बनने के लिए क्‍वाइल का ही इस्‍तेमॉल होता हे या यू कहे की बिना क्‍वाइल के इलेक्ट्रिसिटी नहीं बन सकती तो गलत नहीं होगा 

क्‍योकि डायनमो लिनसे बिजली बनाई जाती है उनमें क्‍वाइल का ही उपयोग है सिग्‍नल को बैलेंस करता है 











Copuler 


·         Coil  के कॉम्बिनेशन को copuler  कहते है यह डिस्‍प्‍ले सेक्‍शन,कैमरा सेक्‍शन नेटवर्क सेक्‍शन और ब्‍लूटूथ सेक्‍शन में सीरीज कनेक्‍शन में लगे होते है इसे बैलेंसिंग ट्रांसफार्मर भी कहते है इसे चेक करने के लिए इसके अंदर लगे coil  को चेक किया जाता है 














·          इनको चेक करने के लिए इसमें लबी कॉइल को एक एक करके चेक करते है एक भी खराब होने पर पूरा चेंज करते है या हटा कर जम्‍पर लगा सकते है

·          Copuler ज्‍यादातर डिस्‍प्‍ले सेक्‍शन में सीरीज कनेक्‍शनमें लगे होते है इनके खराब होने पर डिस्‍प्‍ले पर ग्राफिक्‍स नहीं आयेगे ऐसे में इनको हटा कर जम्‍पर लगा सकते है
·         नेटव‍र्क सेक्‍शनमें भी लगे मिल सकते हे 



















Transistor


Transistor


तीन सेमी- कंडक्‍टर को जोड़ कर बनाये जाने वाला डिवाइस ट्रांर्जिस्‍टर कहलाता है ट्रांजिस्‍टर सेमी-कंडक्‍टर पदार्थ सिलिकॉन जर्मियम का बना होता है 

एक प्रकार से ट्रांजिस्‍टर एक डबल डायोड होता है एक N टाइप क्रिस्‍टल एक P टाइप के क्रिस्‍टल को जोड़ कर एक P-N जंक्‍शनका निर्माण करते है

डायोड इसी P-N जंक्‍शन का उदाहरण है क्‍योकि ट्रांजिस्‍टर में दो P-N जंक्‍शन होता  है इसलिए यह कहा जा सकता है की ट्रांजिस्‍टर एक प्रकार से  डबल डायोड होता है


Transistor दो टाइप के होते है


1.  PNP transistor

2.  NPN transistor


PNP transistor

·         यह दो P टाइप और एक N टाइप के क्रिस्‍टल से  मिलकर बना होता है N टाइप के दोनो ओर P टाइप के क्रिस्‍टल को जोड़ देते है क्रिस्‍टल के इस प्रकार जूड़ने पर दो जंक्‍शन निर्मित होते है 

एक P-N जंक्‍शन और एक N-P जंक्‍शन आपस में मिला दिया जाता है तो खंडो में से 3 खंड ( PNP) रह जाते है इस प्रकार के निर्मित ट्रांजिस्‍टर को  PNP ट्रांजिस्‍टर कहते है






·         दोनेा P टाइप खंडो में छोटा P एमीटर emitter एवं बडा P कलेक्‍टर collector और N बेस base  कहलाता है

·         इसमें करंट का फ्लो एमीटरसे बेस के बीच में होता है 



NPN transistor

·         यह दो N टाइप और एक P टाइप के क्रिस्‍टल से मिलकर बना होता है P टाइप के दोनेां और N टाइप के क्रिस्‍टलको जोड़ देते है क्रिस्‍टल के इस प्रकार जुडने पर दो जंक्‍शन निर्मित  होते है

 एक N-P जंक्‍शन और एक P-N जंक्‍शन आपस में मिलादिया जाता है तो खंडो में से 3 खंड ( NPN ) रह जातेहै इस प्रकार के निर्मित ट्रांजिस्‍टर को NPN ट्रांजिस्‍टर कहते है







·         इसमें करंट का फ्लो बेस से एमीटर के बीच में होता है

Transistor का मोबाइल PCB मे यूज

·         ट्रांजिस्‍टर का मुख्‍य रुप से उपयोग सिग्‍नल की शक्ति को बढाने के लिए किया जाता है अर्थात AMPLIFICATION के लिए किया जाता है

·          Switching इलेक्‍ट्रॉनिक सर्किट में करंट को on/off करने वाला डिवाइस इलेक्‍ट्रांनिक स्विच कहलाता है इलेक्‍टॉनिक स्विच की on/off करने के गति मैकेनिकल स्विच से अधिक होती है

·          Voltage regulation - 

 वोल्‍टेज रेगुलेटरका मतलब इनपुट वोल्‍टेज के लोड होने पर या बदलती है हुई परिशिति के बाद भी एक सामान वोल्‍टेज देना और हाई  वोल्‍टेज का सिग्‍नल के साथ ( CPU EN Signal )  लो कन्‍वर्शन करने के लिए यूज किया जाता है

Transistor में तीन टर्मिनल होते है


·         Collector - common collector configuration

·         Base – common base configuration ya ground base circuit

·         Emitter - common emitter configuration  

ट्रांजिस्‍टरमें 3 इलेक्‍ट्रोंन होते है ट्रांजिस्‍टर में दिया जाने वाला इनपुट इन्‍हीं दो इलेक्‍ट्रोंडके बीच में दिया जाता हे
अैर आउटपुट भी इनी दो इलक्‍ट्रोड के बीच में लिया जाता हे क्‍युकी 3 इलेक्‍ट्रोड होते है तो दिउया जाने वाला इनपुट लिया जाने वाला आउटपुट तो मेन इलेक्‍ट्रोड कॉमन होगा

मोबाइल फोन में यूज किया जाने वाला ट्रांजिस्‍टर

·         यह आकर मे काफी छोटे होते है


Multimeter se testing

·         ट्रांजिस्‍टर को चेक करने के लिए इसमें लगे दोनों डायोड को चेक किया जाता है जिसमें एक E और B के बीच और दूसरा B और C के बीच लगा होता हे

·         डायोड / बजर रेंज पर रखगे

·         रेड प्रोबको E पर रखगे एवं ब्‍लैक प्रोब को  B  पर रखंगें

·         अगर रीडिंग मिलती है तो ट्रांजिस्‍टर PNP ट्रांजिस्‍टर है 

अगर रीडिंग नहीं मिलती है तो NPN ट्राजिस्‍टर है

दोने ओर रीडिंग नहीं मिलने पर ट्रांजिस्‍टर खराब माना जाता है 
बीप आने पर शोर्ट माना जाता है 








  • रेड प्रोब को E( P )  पर रखगे एवं ब्‍लैक प्रोब को B( N ) पर रखेगें अगर रीडिंग मिलती है और रीवर्स चेक करने पर रीडिंग नहीं मिलती तो ट्रांजिस्‍टर PNP ट्रांजिस्‍टर है 


































Diode

Diode  




डायोड का इस्‍तेमाल सर्किट में एसी करट को डीसी करंट में बदलने के लिए किया जाता है 

डायोड में यह गुण होता है की वह एक तरफ से करंट को गुजरने देता है और दूसरी तरफ से करंट को रोकता है 

जिसके कारण नेगेटिव करंट और पॉजिटिव करंट को अलग अलग किया जा सकता है इसलिए डायोड का प्रयोग एसी करंट को डीसी करंट में बदलने के लिए किया जाता है 

इसलिए इसका नाम रेक्टिफायर डायोड रखा गया है डायोड को सीरीज में कनेक्‍शन में लगया जाता है

इसके अलावा सर्किट में यह सुरक्षाके लिए भी इस्‍तेमाल  किया जाता है यह सर्किट में उल्‍टी सीधी सप्‍लाई देने पर भी सर्किट को नुकसान नहीं होने देता है 
इस लिए डायोड को पैरालल कनेक्‍शन  में यूज किया जाता है

एक P टाइप सेमी-कंडक्‍टर जब तक एक N  टाइप सेमी-कंडक्‍टर को मिलाकर बना होता है तो इस तरह का डिवाइस एक सेमी-कंडक्‍टर डायोड कहलाता है 

इस तरह के निर्मित P-N   जंक्‍शन ,करंट प्रभाव की दिशा के लिए लो रेजिस्‍टेंस तथा हाई दूसरी दिशा के लिए हाई रेजिस्‍टेंस प्रदान करता है 






·      P सिरे वाले को एनोड कहते है यह पॉजिटिव सिरा होता है


·      N सिरे वाले को कैथोड कहते है यह नेगेटिव सिरा होता है 

लाइट सेक्‍शन और चार्जिग, स्‍पीकर सेक्‍शन और बाकि सेक्‍सन में भी zenor डायोड में पैराललमें लगे होते     है  ( प्रोटेक्‍शन के लिए )  


Mobile PCB में डायोड का यूज़



·      Switching


·      Rectification (Diode का काम AC को DC में बदलने की क्रिया को rectification कहते है )



Diode के टाइप


·      PN Diode – नार्मल डायोड


·      LED (Liquid emitting Diode) - बीप मोड पर चेक करे जलने पर सही माना जाता है कीपैड और डिस्‍प्‍ले सेक्‍शन में लगा होता है








·      जेना डायोड – फिक्‍स वोल्‍टेज (3.6v,3.9v,4.2v) के होते है यह जितने मान के होते है उतना ही वोल्‍टेज आगे देते है 

चार्जिग सेक्‍शन में लगे होते है नार्मल डायोड की तरह चेक होते है मतलब एक एक तरफ रीडिंग आती हे एक तरफ रीडिंग नहीं आती है तो सही माना जाता है



वोल्‍टेज चेक करने के लिए इनको वोल्‍टेज देना होता है 








मल्‍टीमीटर से टेस्टिंग



·        मल्‍टीमीटर को बीप मोड पर सेट करे , सही डायोड एक तरफ वैल्‍यू बताताहै वही जहॉ रेड प्रोब होता है वह P सिरा ( एनोड) होता है और जहॉ ब्‍लैक प्रोब होता है वह N सिरा ( कैथोड )होता है तथा दूसरी तरफ ओपन (1) बताता है

·      डायोड के दोनो सिरों पर मल्‍टीमीटर के प्रोब रखने पर बीप की आवाज आने पर डायोड शोर्ट होता है
डायोड के दोनों सिरों पर रीडिंग नहीं मिले तो डायोड ओपन होता है 











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